REIT का पूरा नाम रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट है, जो एक ऐसा संगठन है जो रियल एस्टेट संपत्तियों का स्वामित्व करता है और उन्हें अपने शेयरधारकों के लिए आय उत्पन्न करने के लिए प्रबंधित करता है। यह एक प्रकार का निवेश माध्यम है जो व्यक्तियों को रियल एस्टेट में निवेश करने की अनुमति देता है, बिना यह आवश्यक है कि वह व्यक्तिगत रूप से संपत्ति खरीदें। REIT का स्वरूप काफी आसान है, जहां निवेशक पहले से स्थापित कंपनियों के माध्यम से संपत्तियों में निवेश कर सकते हैं।
REIT मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं: एक्विटी REIT, फिक्स्ड-इनकम REIT (या मोर्टगेज REIT), और हाइब्रिड REIT। एक्विटी REIT संपत्तियों के मालिक होते हैं और उनके द्वारा उत्पन्न होने वाली आवर्ती आय का लगभग 90% शेयरधारकों को लाभांश के रूप में वितरित करते हैं। दूसरी ओर, मोर्टगेज REIT ऋण देने पर केंद्रित होते हैं, जिससे आय उत्पन्न होती है। अंततः, हाइब्रिड REIT दोनों प्रकारों का सम्मिलन करते हैं, जिससे यह निवेशकों को विविधता और ग्रामीणता प्रदान करता है।
REIT का कार्य प्रणाली विशेष रूप से सरल है। ये कंपनियां विभिन्न रियल एस्टेट संपत्तियों में निवेश करती हैं, जैसे कि आवासीय, वाणिज्यिक, और औद्योगिक संपत्तियां। इन संपत्तियों से प्राप्त होने वाली आय का बड़ा हिस्सा निवेशकों को लाभांश के रूप में वितरित किया जाता है। इस प्रकार, REIT एक स्थायी आय स्रोत की तरह कार्य करता है, जो निवेशकों के लिए विकल्पों की विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत करता है। इसके अतिरिक्त, उन लोगों के लिए भी यह एक उत्कृष्ट विकल्प है जो जमीन या इमारतों में सीधे निवेश करने में असमर्थ हैं।
भारत में REITs में निवेश के फायदे
रीयल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स में निवेश करने के कई फायदे हैं, जो इसे भारतीय निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं। एक प्रमुख फायदा इसके उच्च तरलता स्तर है। REITs के शेयर स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड होते हैं, जिससे निवेशक आसानी से अपने निवेश को खरीद या बेच सकते हैं। इससे पूंजी की आवश्यकता के अनुसार त्वरित तरलता उपलब्ध होती है।
दूसरा महत्वपूर्ण लाभ विविधीकरण के अवसर है। रीट्स में निवेशक विभिन्न प्रकार की रीयल एस्टेट संपत्तियों में हिस्सेदारी प्राप्त करते हैं, जैसे कि अपार्टमेंट्स, ऑफिस स्पेस, और वाणिज्यिक संपत्तियां। इस विविधीकरण के माध्यम से, निवेशक एक ही संपत्ति पर निर्भरता कम कर सकते हैं और जोखिम को भी संतुलित कर सकते हैं। इससे एक स्थिर और सुरक्षित रिटर्न प्राप्त करने की संभावना बढ़ती है।
निवेशकों के लिए नियमित आय भी रीट्स का एक महत्वपूर्ण आकर्षण है। ये ट्रस्ट्स अपने मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा शेयरधारकों को डिविडेंड के रूप में वितरित करते हैं। इस तरह से, निवेशक नियमित आय प्राप्त कर सकते हैं, जो कि विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो आय की स्थिर धारा की तलाश में हैं।
अंत में, REITs का पेशेवर प्रबंधन एक और बड़ा फायदा है। ये ट्रस्ट्स अनुभवी पेशेवरों द्वारा प्रबंधित होते हैं, जो संपत्तियों का चयन और प्रबंधन करते हैं। निवेशकों को संपत्ति प्रबंधन के जटिल पहलुओं में शामिल होने की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे वे अपने निवेश पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इन सभी तरीकों से, REITs निवेशकों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनते हैं।
शुरुआती निवेशकों के लिए REIT में निवेश कैसे करें?

भारत में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश करना एक सरल और प्रभावी तरीका है, जो शुरुआती निवेशकों को व्यावासिक रियल एस्टेट में हिस्सेदारी प्रदान करता है। रीट्स में निवेश करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चरणों का पालन करना आवश्यक है।
सबसे पहले, प्रारंभिक निवेशकों को रीट्स के प्रकारों और उनके काम करने के तरीके के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। मुख्यधारा के REITs में आवासीय, वाणिज्यिक, स्वास्थ्य देखभाल, और औद्योगिक रियल एस्टेट शामिल होते हैं। इसके बाद, आपको सही REIT का चयन करना होगा, जो आपकी निवेश रणनीति के साथ मेल खाता हो।
निवेश की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए, आपको एक डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलने की आवश्यकता होती है। यह खाता आपको रीट्स की यूनिट खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करेगा। भारत में कई प्रमुख ब्रोकर हैं, जो डीमैट खाता खोलने की सेवा प्रदान करते हैं। निवेशकों को इस मंच का चयन करते समय उनकी फीस और सर्विसेस का ध्यान रखना चाहिए।
एक बार जब आपका खाता सेट हो जाए, तो आपको बाजार पर नजर रखनी होगी और REIT की कीमतों और रिटर्न की प्रवृत्तियों का मूल्यांकन करना चाहिए। रीट में निवेश करने से पहले, यह सावधानी बरतें कि आप अपने निवेश का उद्देश्य स्पष्ट रखें और अपनी मुद्रा और समय सीमा का प्राथमिकता रखें।
साथ ही, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे विविधीकरण पर ध्यान दें। एक ही रीट में सभी पूंजी का निवेश करने के बजाय, विभिन्न प्रकार के रीट्स में निवेश करना अधिक सुरक्षित हो सकता है। इससे जोखिम कम करने में सहायता मिलेगी और पोर्टफोलियो को स्थिर बनाने में मदद मिलेगी।
भारत में उपलब्ध REITs विकल्प
भारत में रीयल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स ने पिछले कुछ वर्षों में बहुत चर्चा हासिल की है, और विभिन्न प्रकार के निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वर्तमान में, भारत में कुछ प्रमुख REITs उपलब्ध हैं, जो विभिन्न संपत्ति के प्रकारों में निवेश करते हैं, और इनका निवेश फोकस भी भिन्न है। ये रीट्स मुख्यतः वाणिज्यिक, आवासीय, और औद्योगिक संपत्तियों में निवेश करते हैं।
इनमें से एक प्रमुख रीट, Embassy Office Parks REIT है, जो भारतीय वाणिज्यिक संपत्तियों में निवेश करता है। इस रीट का मुख्य ध्यान ऑफिस स्पेस और उनके उत्थान पर है। यह विभिन्न मेट्रो शहरों में स्थित कार्यालय परिसरों के भंडार का नियंत्रक है, और इसकी रिटर्न दरें बाजार में स्थिरता प्रदान करती हैं। इसके अलावा, यह उचित दीर्घकालिक स्थिरता और विकास की पेशकश करता है।
दूसरा महत्वपूर्ण रीट, Mindspace Business Parks REIT है। यह भी वाणिज्यिक संपत्तियों में निवेश करता है, जिनमें प्रमुख ओफिस पार्क शामिल हैं। यह विभिन्न उच्च तकनीकी कंपनियों को स्थान प्रदान करता है, जिससे इसके निवेशक लाभान्वित होते हैं। Mindspace REIT की खासियत यह है कि यह भविष्य की विकास संभावनाओं के साथ-साथ सामरिक स्थानों में स्थित है।
इसके अलावा, Brookfield India Real Estate Trust भी एक अभ्यास में है, जो बहुमुखी संपत्तियों के पोर्टफोलियो को नियंत्रित करता है। यह वाणिज्यिक संपत्तियों, जैसे ऑफिस स्पेस और रिटेल स्थानों में निवेश करता है, जो लंबी अवधि में प्रौद्योगिकी और परिवहन हब के रूप में विकसित हो रहे हैं। इस REIT का दृष्टिकोण दीर्घकालिक पूंजी निवेश की स्थिरता पर केंद्रित है, जो अपने निवेशकों के लिए एक सुरक्षित और स्थिर आय की पेशकश करता है।
इस प्रकार, भारत में विभिन्न REIT विकल्प हैं, जो विभिन्न संपत्तियों, निवेश फोकस और प्रदर्शन में भिन्नता रखते हैं। निवेशक अपने निवेश लक्ष्यों और जोखिम सहिष्णुता के अनुसार उचित REIT का चयन कर सकते हैं।
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REITs में निवेश से कितना रिटर्न मिल सकता है?

रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स ने भारत में निवेशकों को आकर्षित करने वाले उच्च रिटर्न के साथ एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड स्थापित किया है। रीट्स आमतौर पर रियल एस्टेट संपत्तियों में निवेश करते हैं, जैसे कार्यालय, शॉपिंग मॉल, और आवासीय संपत्तियाँ, जिससे उन्हें नियमित आय प्राप्त होती है। ऐतिहासिक रूप से, भारतीय REITs ने औसत वार्षिक रिटर्न 8% से 12% तक प्रदान किया है। हालांकि, यह रिटर्न विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे संपत्ति का प्रकार, बाजार की स्थिति, और बुनियादी ढांचे का विकास।
REIT में निवेश करने से होने वाले लाभों में नियमित आय और पोर्टफोलियो विविधीकरण शामिल हैं। निवेशक आवश्यक रूप से न केवल संपत्ति के मूल्य में वृद्धि का लाभ उठाते हैं, बल्कि वे लाभांश लाभ भी प्राप्त करते हैं, जो रिटर्न का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अतिरिक्त, REITs की प्रबंधन टीम संपत्तियों का ध्यान रखती है और उन्हें अधिकतम लाभ के लिए प्रबंधित करती है। इस प्रकार, निवेशक पेशेवर प्रबंधन से लाभान्वित होते हैं और समय की बचत करते हैं।
विभिन्न तत्व जो रीट के मूल्य निर्धारण को प्रभावित करते हैं, उनमें आर्थिक परिस्थितियाँ, ब्याज दरें और रियल एस्टेट बाजार की स्थिति शामिल हैं। जब अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, तो संपत्ति के मूल्य और किराया बढ़ सकते हैं, जो REITs के रिटर्न को बढ़ाता है। हालाँकि, ब्याज दरों के बढ़ने से REITs पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि इससे उनके वित्तपोषण की लागत बढ़ जाती है। कुल मिलाकर, REIT में निवेश करने के लिए संभावित लाभ और रिटर्न की दरें निश्चित रूप से निवेशकों के लिए एक आकर्षण का कारण बनी हुई हैं।
REITs बनाम डायरेक्ट रियल एस्टेट निवेश: कौन बेहतर है?
भारत में रियल एस्टेट निवेश के विकल्प के रूप में, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स और सीधे रियल एस्टेट निवेश दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा होती है। प्रत्येक विकल्प के अपने लाभ और हानियाँ हैं, जो निवेशकों को निर्णय लेने में मदद करती हैं।
REITs, जिनमें अनेक रियल एस्टेट संपत्तियों का एक पोर्टफोलियो होता है, आमतौर पर छोटे निवेशकों के लिए अधिक सुलभ होते हैं। वे शेयर बाजार में सूचीबद्ध होते हैं, जिससे निवेशक आसानी से इनका व्यापार कर सकते हैं। जोखिम कम होता है क्योंकि निवेश विभिन्न संपत्तियों में बंटा होता है, और यह स्थिर आय का स्रोत बनाने के लिए उपयुक्त होते हैं। यदि कोई निवेशक रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए बहुत अधिक प्रारंभिक पूंजी नहीं रखता है, तो REITs एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकते हैं।
वहीं, डायरेक्ट रियल एस्टेट निवेश में सम्पत्ति का स्वामित्व शामिल होता है, जो एक व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करता है। इसमें संपत्ति का विक्रय, किरायेदारों के साथ संबंध और संपत्ति के रखरखाव की जिम्मेदारी शामिल होती है। हालांकि यह उच्च मात्रा में पूंजी की आवश्यकता रखता है, इसके साथ-साथ बेहतर दीर्घकालिक लाभ की संभावनाएँ भी हो सकती हैं। इसके अलावा, एक संपत्ति में डायरेक्ट स्वामित्व से निवेशक को अधिक नियंत्रण और विभिन्न निवेश रणनीतियों की अनुमति मिलती है।
हालांकि, डायरेक्ट रियल एस्टेट निवेश में संभावित व्यक्तिकृत जोखिम शामिल होते हैं, जैसे कि संपत्ति का मूल्य घटना या किरायेदारी से जुड़ी समस्याएँ। इसके विपरीत, रीट्स में निवेश करने से प्रबंधन की चिंताओं को कम किया जा सकता है, क्योंकि पेशेवर प्रबंधक संपत्तियों का संचालन करते हैं। इस प्रकार, निवेशकों को अपनी व्यक्तिगत प्रवृत्तियों और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए कि कौन सा विकल्प उनके लिए उचित है।

भारत में REITs पर टैक्स कैसे लगता है?
भारत में REITs एक आकर्षक रियल एस्टेट निवेश विकल्प हैं, लेकिन इन पर लागू टैक्स नियम व निवेशकों की रिटर्न के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहां 2025 के अनुसार REITs से जुड़े टैक्स नियमों की स्पष्ट जानकारी दी गई है:
1. Dividend पर टैक्स
व्यक्तिगत निवेशकों के लिए टैक्स:
रीट्स से प्राप्त डिविडेंड, निवेशकों की आय के तौर पर उनकी आयकर स्लैब के अनुसार टैक्सेबल है। अगर REIT की स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPV) ने सेक्शन 115BAA के अंतर्गत कंसेशनल टैक्स अपनाया है, तो डिविडेंड पर निवेशक को टैक्स देना होता है। अन्यथा, ये डिविडेंड निवेशक के लिए टैक्स-फ्री रहता है।TDS:
यदि डिविडेंड या ब्याज इनकम कुल ₹10,000 से अधिक है, तो 10% की दर से टीडीएस काटा जाता है (2025-26 के लिए लागू सीमा)।कॉर्पोरेट निवेशकों:
इन्हें भी लाभांश उनकी लागू आयकर दर के अनुसार टैक्सेबल है।
2. Capital Gains पर टैक्स
अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (STCG):
REIT यूनिट्स 12 महीने या उससे कम समय के लिए रखने पर, अब 20% का फ्लैट टैक्स लागू है (जुलाई 2024 के बजट के बाद)।दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG):
12 महीने से अधिक समय के लिए यूनिट्स रखने पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ 12.5% टैक्स के दायरे में आता है। इसमें ₹1,25,000 तक वर्ष के लाभ पर छूट मिलती है।इंडेक्सेशन बेनिफिट नहीं:
LTCG अब इंडेक्सेशन के बिना टैक्सेबल है।
3. अन्य आय व कर निर्धारण
रेंटल इनकम:
REIT से मिले रेंट भी आपकी आय में जोड़कर स्लैब रेट्स के अनुसार टैक्सेबल हैं और 10% TDS लागू है।पास-थ्रू स्टेटस:
रीट्स को पास-थ्रू टैक्स ट्रीटमेंट प्राप्त है, जिससे SPV से आय सीधे निवेशकों को टैक्स के लिए ट्रांसफर की जाती है।
4. कर नियोजन की आवश्यकता
टैक्स नियमों में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं। निवेश से पहले ताजा नियमों की अच्छी समझ और वित्तीय सलाहकार से चर्चा जरूरी है।
REIT में निवेश करने से पहले टैक्स नियमों का ध्यानपूर्वक विश्लेषण जरूरी है। लाभांश, पूंजीगत लाभ, और अन्य आय पर टैक्स आपकी रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं। सही टैक्स प्लानिंग और सलाह से कर देनदारी को बेहतर तरीके से मैनेज किया जा सकता है।
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REIT निवेश में जोखिम और उनसे बचने के उपाय

भारत में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स में निवेश करने का विचार आकर्षक हो सकता है, लेकिन इस निवेश से जुड़े कुछ जोखिम भी होते हैं जिन्हें समझना आवश्यक है। सबसे पहले, बाजार अस्थिरता एक प्रमुुख चिंता का विषय है। शेयर बाजार की स्थिति में अचानक उतार-चढ़ाव रियल एस्टेट निवेशों को प्रभावित कर सकता है, जिससे आपके निवेश की कीमत में कमी आ सकती है। इसके लिए, एक स्थिर बाजार की पहचान करना और लंबे समय के लिए निवेश करना बेहतर रणनीति हो सकती है।
दूसरा, प्रबंधन जोखिम भी एक महत्वपूर्ण कारक है। रीट का सफल होना इस बात पर निर्भर करता है कि उसका प्रबंधन किस प्रकार से कार्य करता है। यदि प्रबंधन ने गलत निवेश निर्णय लिए या संपत्तियों को सही तरीके से नहीं संभाला, तो इससे आपके रिटर्न पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, हमेशा प्रतिष्ठित और अनुभवी प्रबंधन टीम के साथ REIT का चयन करना आवश्यक है।
फिर, वित्तीय जोखिम भी एक चिंता का विषय है। किसी भी रीट की वित्तीय स्थिरता उसके कर्ज के स्तर और नकदी प्रवाह पर निर्भर करती है। यदि REIT का कर्ज अधिक है और नकदी प्रवाह कम है, तो यह निवेशकों के लिए समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। इसके लिए, REIT के वित्तीय स्वास्थ्य की नियमित समीक्षा करना और उसके ऋण स्तर को समझना अनिवार्य है।
इन जोखिमों से बचने के लिए, निवेशक रिसर्च को प्राथमिकता दें और पेशेवर सलाह लें। संतुलित और विविध सुविधाओं में निवेश करना, जैसे कि विभिन्न प्रकार के REITs में बांटकर, भी एक प्रभावी तरीका हो सकता है। इस तरह, आप अपने निवेश को सुरक्षित और लाभकारी बनाए रखने के लिए उचित कदम उठा सकते हैं।
भारत की टॉप REIT कंपनियां
भारत में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स का बाजार तेजी से विकसित हो रहा है, जिसमें कई प्रमुख कंपनियाँ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। ये कंपनियाँ निवेशकों के लिए विविध विकल्प उपलब्ध कराती हैं, जिससे वे रियल एस्टेट क्षेत्र में अपनी पूंजी का निवेश कर सकते हैं। यहाँ हम कुछ प्रमुख REIT कंपनियों के बारे में चर्चा करेंगे, जो वर्तमान में भारत में निर्णय लेने वाले निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
पहली कंपनी, Embassy Office Parks REIT, भारत का पहला REIT है, जो उच्च गुणात्मक कार्यालय परिसरों में निवेश करता है। Embassy ने अधिकांश भागीदारी विदेशी निवेशकों से आकर्षित की है। इस REIT ने बाजार में शानदार प्रदर्शन किया है, जिससे यह मजबूत संपत्ति के साथ उच्च लाभांश योगदान देने में सफल रहा है।
दूसरी महत्वपूर्ण कंपनी है Mindspace Business Parks REIT, जो आईटी और व्यावसायिक कार्यालय परिसर में विशेषज्ञता रखती है। यह REIT प्रबंधन के माध्यम से स्थिर कमाई और भविष्य के विकास के अवसरों के लिए जाना जाता है। इसके अधिग्रहण और स्थानीय विकास योजनाएँ इसे एक स्थायी निवेश विकल्प बनाती हैं।
तीसरी प्रमुख नाम Brookfield India Real Estate Trust है, जो विविध संपत्तियों के पोर्टफोलियो के साथ आया है। यह ट्रस्ट न केवल वाणिज्यिक संपत्तियों में स्थितियों में फैलता है, बल्कि इसके तहत भंडार संपत्तियों का भी समावेश है। Brookfield के REIT द्वारा प्राप्त किए जाने वाले लाभांश, निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मजबूत हैं।
इन प्रमुख रीट कंपनियों का सटीक प्रदर्शन और उनके बाजार में प्रभाव, निवेशकों को उनके निवेश विकल्पों का मूल्यांकन करने में मदद करता है। भारत में REITs में निवेश करने के लिए सही जानकारी और प्रोफाइल का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि निवेशक सही निर्णय ले सकें।
REITs से डिविडेंड आय कैसे प्राप्त करें?

रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट में निवेश करने से निवेशकों को नियमित रूप से डिविडेंड आय प्राप्त करने का एक उचित मौका मिलता है। आरईआईटी्स अपने आय का बड़ा हिस्सा, अनिवार्य रूप से, अपने निवेशकों को डिविडेंड के रूप में वितरित करते हैं। यह वितरण प्रक्रिया मुख्यतः संपत्तियों से अर्जित किराया और पूंजी लाभ पर आधारित होती है। REITs को कानून द्वारा प्रावधानित किया गया है कि उन्हें अपनी आय का कम से कम 90% भाग डिविडेंड के रूप में वितरित करना होता है।
विभिन्न प्रकार के डिविडेंड्स होते हैं जो REIT में निवेशकों को प्राप्त हो सकते हैं। सबसे सामान्य स्थिति में, निवेशक नकद डिविडेंड प्राप्त करते हैं, जो सीधे उनके बैंक खातों में जमा होते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ REITs पूंजी की वृद्धि को समर्थन देने के उद्देश्य से पुनः निवेश विकल्प भी पेश करते हैं, जहाँ डिविडेंड्स का पुनर्निवेश होता है। इस प्रकार, निवेशक अपनी कुल संपत्ति का समय के साथ वृद्धि कर सकते हैं।
आरईआईटी से डिविडेंड आय प्राप्त करने के लिए, निवेशकों को कुछ महत्वपूर्ण शर्तों का पालन करना आवश्यक होता है। सबसे पहले, आरईआईटी के सेकेण्डरी मार्केट में एसटॉक्स खरीदने के लिए सही समय की पहचान करना महत्त्वपूर्ण है। इसके अलावा, निवेशकों को संबंधित REIT की बैलेंस शीट और वित्तीय स्थिति को समझना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनी डिविडेंड भुगतान करने में सक्षम है। इसके अलावा, निवेशकों को लंबी अवधि के लिए निवेश करने की योजना बनानी चाहिए, क्योंकि REIT की डिविडेंड आय आमतौर पर नियमित और स्थिर होती है।
फाइनल टेकअवे
भारत में REIT निवेश उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो बिना बड़ी पूंजी लगाए रियल एस्टेट से जुड़ना चाहते हैं। यह निवेश न केवल नियमित आय और तरलता प्रदान करता है, बल्कि पोर्टफोलियो को भी संतुलित करता है। हालाँकि, निवेश से पहले सही REIT का चुनाव, कर व्यवस्था को समझना और जोखिमों का मूल्यांकन करना ज़रूरी है। सही रणनीति और रिसर्च के साथ, REIT लंबे समय तक स्थिर और आकर्षक रिटर्न देने वाला निवेश साबित हो सकता है।
Disclaimer : यह लेख केवल शैक्षिक और सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की वित्तीय, कर या निवेश सलाह नहीं है। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें।

