आपने शायद इसके बारे में सुना होगा। हो सकता है आपके दोस्त चाय की टपरी पर बात कर रहे हों, आपके किसी रिश्तेदार ने फैमिली WhatsApp ग्रुप पर इसका ज़िक्र किया हो, या आपने टीवी पर किसी न्यूज़ एंकर को एक नए क्रिप्टो कॉइन के बारे में बात करते देखा हो जो “चाँद पर जा रहा है।” आप बिटकॉइन के बारे में तो जानते हैं, लेकिन बाज़ार में मौजूद हज़ारों दूसरे कॉइन्स का क्या? इन्हें ऑल्टकॉइन्स (Altcoins) कहते हैं, और ये कई सवाल खड़े करते हैं: क्या ये पैसा कमाने का एक असली मौका है, या सिर्फ एक जोखिम भरा जुआ?
अगर आप उलझन में हैं, तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। मुश्किल शब्दों और डरावनी चेतावनियों को भूल जाइए। यह गाइड भारतीयों के लिए ऑल्टकॉइन्स को समझने का सबसे सरल और ईमानदार तरीका है। हम आपको बताएंगे कि वे क्या हैं, कैसे काम करते हैं, और आप भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में इन्हें कैसे देख सकते हैं।
ऑल्टकॉइन्स की दुनिया में आपका पहला कदम
क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया को पैसों की दुनिया की तरह समझिए। इस दुनिया में, बिटकॉइन भारतीय रुपये (₹) की तरह है। यह सबसे पहला था, सबसे ज़्यादा मशहूर है, और इसी के आधार पर बाकी सब कुछ मापा जाता है।
ऑल्टकॉइन्स, जिसका पूरा नाम “अल्टरनेटिव कॉइन्स” (वैकल्पिक सिक्के) है, दुनिया की बाकी सभी मुद्राओं की तरह हैं—जैसे अमेरिकी डॉलर, यूरो, या जापानी येन। वे सभी पैसे के रूप में काम करते हैं, लेकिन उनमें से कई को अलग-अलग, खास मक़सदों के लिए बनाया गया था। कुछ को तेज़ बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, कुछ को विशेष एप्लिकेशन चलाने के लिए, और कुछ सिर्फ नए प्रयोग हैं। संक्षेप में, कोई भी क्रिप्टोकरेंसी जो बिटकॉइन नहीं है, वह एक ऑल्टकॉइन है।
क्या भारत में ऑल्टकॉइन्स कानूनी हैं? मौजूदा नियमों को समझें
यह किसी भी भारतीय निवेशक के लिए सबसे ज़रूरी सवाल है, तो चलिए इसे साफ करते हैं। हाँ, भारत में ऑल्टकॉइन्स खरीदना, बेचना और रखना कानूनी है। भारत सरकार ने इन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है।
लेकिन, सरकार आपके मुनाफे पर टैक्स ज़रूर लगाती है। यहाँ दो सरल नियम हैं जिन्हें आपको जानना चाहिए:
- मुनाफे पर 30% टैक्स: अगर आप ₹1,000 का कोई ऑल्टकॉइन खरीदते हैं और उसे ₹1,500 में बेचते हैं, तो आपको ₹500 का मुनाफा हुआ। इस मुनाफे पर सरकार 30% की सीधी दर से टैक्स लेगी।
- 1% TDS (स्रोत पर कर कटौती): जब आप किसी भारतीय एक्सचेंज पर ऑल्टकॉइन बेचते हैं, तो एक्सचेंज कुल बिक्री राशि का 1% खुद ही काट लेगा और आपकी ओर से सरकार को जमा कर देगा।
टैक्स से घबराएं नहीं। इसका सीधा सा मतलब है कि क्रिप्टो को भी दूसरी संपत्तियों की तरह रेगुलेट किया जा रहा है, जो एक परिपक्व होते बाज़ार का संकेत है।
भारत में अपना पहला ऑल्टकॉइन कैसे खरीदें (स्टेप-बाय-स्टेप गाइड)
अपना पहला ऑल्टकॉइन खरीदना आपकी सोच से भी ज़्यादा आसान है और यह दूसरे डिजिटल पेमेंट ऐप्स इस्तेमाल करने जैसा ही है। भारत में ज़्यादातर लोग भरोसेमंद, स्थानीय क्रिप्टो एक्सचेंज का उपयोग करते हैं। प्रक्रिया इस प्रकार है:
- एक भारतीय एक्सचेंज चुनें: WazirX, CoinDCX, या CoinSwitch Kuber जैसे किसी जाने-माने ऐप को डाउनलोड करें।
- अपना KYC पूरा करें: जैसे बैंक खाता खोलने के लिए होता है, वैसे ही आपको अपने PAN कार्ड और आधार कार्ड का उपयोग करके अपनी पहचान सत्यापित करनी होगी। यह एक मानक सुरक्षा प्रक्रिया है।
- भारतीय रुपये (INR) जमा करें: आप UPI या बैंक ट्रांसफर जैसे तरीकों का उपयोग करके अपने एक्सचेंज वॉलेट में आसानी से पैसे डाल सकते हैं।
- अपना पहला ऑल्टकॉइन खरीदें: एक बार जब आपके वॉलेट में पैसा आ जाए, तो आप बाज़ार ब्राउज़ कर सकते हैं और अपनी पसंद का कोई भी ऑल्टकॉइन खरीद सकते हैं। आपको पूरा एक कॉइन खरीदने की ज़रूरत नहीं है; आप ₹100 जितनी छोटी रकम से भी शुरुआत कर सकते हैं।
बस हो गया! आपने आधिकारिक तौर पर ऑल्टकॉइन्स की दुनिया में अपना पहला कदम रख लिया है।
सच Vs. झूठ: भारत में ऑल्टकॉइन्स से जुड़े 3 बड़े मिथक

क्रिप्टो की दुनिया में बहुत सी गलतफहमियां हैं। चलिए, कुछ सबसे बड़े मिथकों को तोड़ते हैं ताकि आप सच्चाई जान सकें।
मिथक 1: “सारे ऑल्टकॉइन्स बिटकॉइन की सस्ती नकल हैं।”
यह कहना कि सभी ऑल्टकॉइन्स बिटकॉइन जैसे हैं, वैसा ही है जैसे यह कहना कि आपके फोन की हर ऐप सिर्फ एक कैलकुलेटर है। यह सच है कि कई ऑल्टकॉइन्स बिटकॉइन की टेक्नोलॉजी से प्रेरित हैं, लेकिन बहुत से कॉइन्स बिल्कुल नए और अनोखे आइडिया लेकर आए हैं।
उदाहरण के लिए, Ethereum एक ऑल्टकॉइन है जिसने “स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट” (स्वचालित सौदे) की शुरुआत की। यह एक क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी है जो डेवलपर्स को ब्लॉकचेन पर अपने खुद के ऐप्स बनाने की सुविधा देती है। बिटकॉइन यह काम नहीं कर सकता। इसलिए, कई ऑल्टकॉइन्स सिर्फ नकल नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी का अगला कदम हैं।
मिथक 2: “ऑल्टकॉइन्स में निवेश करने के लिए लाखों रुपये चाहिए।”
यह बात बिल्कुल गलत है। शायद आपने सुना हो कि एक बिटकॉइन की कीमत लाखों में है, लेकिन आपको पूरा कॉइन खरीदने की ज़रूरत नहीं है। आप उसका एक छोटा सा हिस्सा भी खरीद सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे आप ₹100 का सोना खरीद सकते हैं।
भारत के ज़्यादातर क्रिप्टो एक्सचेंज आपको सिर्फ ₹100 से निवेश शुरू करने की सुविधा देते हैं। यह छोटी शुरुआत करने वाले और सीखने वाले निवेशकों के लिए एक बहुत अच्छा तरीका है।
मिथक 3: “ऑल्टकॉइन्स में निवेश करना सिर्फ ‘सट्टा’ (जुआ) है।”
यह सच है कि ऑल्टकॉइन मार्केट बहुत अस्थिर (volatile) है और इसमें जोखिम बहुत ज़्यादा है। अगर आप बिना सोचे-समझे किसी भी कॉइन में पैसा लगा देते हैं, तो यह जुए जैसा ही है।
लेकिन, समझदारी से किया गया निवेश जुआ नहीं होता। जुआ किस्मत पर निर्भर करता है, जबकि निवेश रिसर्च और समझ पर आधारित होता है। किसी ऑल्टकॉइन में निवेश करने से पहले, आप यह पता लगा सकते हैं कि:
- उसे क्यों बनाया गया है? (What problem does it solve?)
- उसके पीछे कौन लोग हैं? (Who is the team?)
- उसकी टेक्नोलॉजी का असली दुनिया में क्या इस्तेमाल है?
जब आप इन सवालों के जवाब ढूंढकर निवेश करते हैं, तो यह ‘सट्टा’ नहीं, बल्कि एक सोचा-समझा वित्तीय निर्णय होता है।
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सिर्फ पैसे से बढ़कर: असली दुनिया की समस्याएं सुलझाते ऑल्टकॉइन्स

ऑल्टकॉइन्स का असली मूल्य उनकी कीमत में नहीं, बल्कि इस बात में है कि वे क्या काम कर सकते हैं। कई प्रोजेक्ट्स इंटरनेट और फाइनेंस के भविष्य की नींव रख रहे हैं।
मिलिए Ethereum से: क्रिप्टो का ‘ऐप स्टोर’
अगर बिटकॉइन डिजिटल सोना है, तो Ethereum को आप डिजिटल ‘ऐप स्टोर’ समझ सकते हैं। जैसे गूगल के प्ले स्टोर या एप्पल के ऐप स्टोर पर लाखों ऐप्स हैं, वैसे ही Ethereum डेवलपर्स को अपने खुद के ‘डीसेंट्रलाइज़्ड ऐप्स’ (dApps) बनाने का प्लेटफॉर्म देता है।
आजकल आप जिन ट्रेंडिंग चीज़ों के बारे में सुनते हैं, जैसे कि DeFi (डीसेंट्रलाइज़्ड फाइनेंस, यानी एक ऐसा बैंकिंग सिस्टम जिस पर किसी एक कंपनी का कंट्रोल नहीं) और NFTs (डिजिटल आर्ट या कलेक्टिबल्स), उनमें से ज़्यादातर Ethereum पर ही बने हैं।
असली दुनिया में उपयोग जो आप आज देख सकते हैं
यह सिर्फ विदेशी कॉन्सेप्ट नहीं है, इसका भारत से भी गहरा नाता है। आपने Polygon (MATIC) का नाम सुना होगा? यह एक भारत से जुड़ा प्रोजेक्ट है जिसे दुनिया भर में पहचान मिली है। Polygon का मुख्य काम Ethereum को और तेज़ और सस्ता बनाना है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इसे इस्तेमाल कर सकें।
इसके अलावा, भारत में कई कलाकार और क्रिएटर्स अपनी डिजिटल आर्ट को NFTs के रूप में बेच रहे हैं, जिससे उन्हें अपनी कला को दुनिया भर में बेचने का एक नया ज़रिया मिला है। यह सब ऑल्टकॉइन्स की टेक्नोलॉजी की वजह से ही संभव हो पाया है।
तेज़ पेमेंट के लिए ऑल्टकॉइन्स: Ripple (XRP) और Stellar (XLM)
विदेशों में काम कर रहे भारतीयों के लिए घर पैसा भेजना अक्सर एक महंगी और धीमी प्रक्रिया होती है। Ripple (XRP) और Stellar (XLM) जैसे ऑल्टकॉइन्स इसी समस्या को सुलझाने के लिए बनाए गए हैं।
इनका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय मनी ट्रांसफर को उतना ही आसान, तेज़ और सस्ता बनाना है जितना एक ईमेल भेजना होता है। अगर यह सफल होता है, तो यह दुनिया भर में करोड़ों लोगों के लिए पैसे भेजने और पाने का तरीका पूरी तरह से बदल सकता है।
स्मार्ट तरीके से निवेश करें (एक प्रो की तरह)

किसी भी ऑल्टकॉइन में अपनी मेहनत की कमाई लगाने से पहले, आपको एक स्मार्ट निवेशक की तरह सोचना होगा। आपको इसके लिए कोई टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट बनने की ज़रूरत नहीं है।
एक भी रुपया लगाने से पहले ये 3 चीज़ें ज़रूर देखें
यह एक सरल फ्रेमवर्क है जिसका उपयोग आप किसी भी ऑल्टकॉइन को परखने के लिए कर सकते हैं:
- टीम (The Team): इस प्रोजेक्ट के पीछे कौन लोग हैं? क्या उनके पास अनुभव है? क्या उनकी पहचान सार्वजनिक है? एक मज़बूत और पारदर्शी टीम प्रोजेक्ट के भरोसे को बढ़ाती है।
- मकसद (The Purpose): यह कॉइन किस समस्या को सुलझाने के लिए बनाया गया है? क्या इसका असली दुनिया में कोई उपयोग है, या यह सिर्फ एक और कॉपी-पेस्ट प्रोजेक्ट है? जिस कॉइन का कोई स्पष्ट मकसद होता है, उसके लंबे समय तक टिकने की संभावना ज़्यादा होती है।
- कम्युनिटी (The Community): क्या लोग इस प्रोजेक्ट के बारे में बात कर रहे हैं? आप ट्विटर (अब X) या टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं। लेकिन सिर्फ ‘चाँद पर जाएगा’ वाली बातों से बचें। देखें कि क्या डेवलपर सक्रिय हैं और क्या कम्युनिटी में प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर चर्चा हो रही है।
सारे अंडे एक ही टोकरी में न रखें: विविधीकरण (Diversification) की ताकत
आपने यह कहावत ज़रूर सुनी होगी। यह क्रिप्टो में और भी ज़्यादा सच है। किसी एक दोस्त के कहने पर या सोशल मीडिया पर किसी एक कॉइन को बहुत लोकप्रिय देखकर अपना सारा पैसा उसमें लगा देना बहुत जोखिम भरा है।
इसे एक क्रिकेट टीम की तरह सोचें: आप सिर्फ बल्लेबाज़ों को लेकर एक टीम नहीं बना सकते; आपको गेंदबाज़ और ऑल-राउंडर भी चाहिए। इसी तरह, आपका क्रिप्टो पोर्टफोलियो भी संतुलित होना चाहिए। थोड़ा पैसा स्थापित कॉइन्स में, थोड़ा नए और उभरते हुए प्रोजेक्ट्स में लगाएं। इससे आपका जोखिम कम हो जाता है।

जोखिम को समझें: ‘मीम कॉइन्स’ (Meme Coins) से सावधान
आपने Dogecoin (डोजकॉइन) या Shiba Inu (शीबा इनु) जैसे कॉइन्स के बारे में ज़रूर सुना होगा। इन्हें ‘मीम कॉइन्स’ कहा जाता है क्योंकि इनकी कीमत अक्सर टेक्नोलॉजी या उपयोगिता पर नहीं, बल्कि सोशल मीडिया के मज़ाक और हाइप पर चलती है।
यह सच है कि कुछ लोगों ने इनसे बहुत पैसा कमाया है, लेकिन यह भी सच है कि अनगिनत लोगों ने अपना पैसा गंवाया भी है। इनमें निवेश करना लॉटरी का टिकट खरीदने जैसा हो सकता है—आप रातों-रात अमीर बन सकते हैं, या आपका पैसा डूब सकता है। अगर आप इनमें निवेश कर भी रहे हैं, तो केवल उतनी ही रकम लगाएं जिसे खोने का आपको डर न हो।
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ऑल्टकॉइन्स और भारत का डिजिटल रुपया
ऑल्टकॉइन्स को समझने के लिए हमें यह भी देखना होगा कि भारत की अपनी डिजिटल मुद्रा के साथ इनका क्या संबंध हो सकता है।
डिजिटल रुपया (e-Rupee) क्या है?
डिजिटल रुपया, जिसे CBDC (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) भी कहा जाता है, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का अपना आधिकारिक डिजिटल करेंसी है। यह बिटकॉइन या इथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी नहीं है।
इसे ऐसे समझें: यह आपके कागज़ के नोटों का एक डिजिटल रूप है। यह आपके Paytm वॉलेट या UPI की तरह काम करेगा, लेकिन यह सीधे RBI द्वारा समर्थित होगा, किसी बैंक या कंपनी द्वारा नहीं। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में कैश पर निर्भरता कम करना और लेन-देन को और भी तेज़ और सुरक्षित बनाना है।

ऑल्टकॉइन्स और डिजिटल रुपया एक साथ कैसे मौजूद रह सकते हैं?
तो क्या डिजिटल रुपये के आने से ऑल्टकॉइन्स खत्म हो जाएंगे? इसका जवाब है, नहीं। दोनों दोस्त की तरह साथ रह सकते हैं, क्योंकि दोनों का मकसद अलग-अलग है।
- डिजिटल रुपया रोज़मर्रा के लेन-देन के लिए होगा—जैसे चाय खरीदना, बिल भरना या दोस्तों को पैसे भेजना। यह UPI का अगला कदम है।
- ऑल्टकॉइन्स (खासकर जो अच्छे प्रोजेक्ट्स हैं) निवेश और नई टेक्नोलॉजी बनाने के प्लेटफॉर्म हैं। यह शेयर बाज़ार की तरह है, जहाँ आप UPI से भुगतान करते हैं लेकिन रिलायंस या टाटा जैसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं क्योंकि आप उनकी टेक्नोलॉजी और भविष्य में विश्वास करते हैं।
इसलिए, भविष्य में आप लेन-देन के लिए डिजिटल रुपये का उपयोग कर सकते हैं और साथ ही, नई टेक्नोलॉजी में निवेश करने के लिए ऑल्टकॉइन्स का पोर्टफोलियो भी बना सकते हैं।
आपका पहला कदम: स्मार्ट बनें, सुरक्षित रहें
ऑल्टकॉइन्स की दुनिया बहुत बड़ी और रोमांचक है, लेकिन यह उतनी ही जटिल भी हो सकती है। उम्मीद है कि इस गाइड ने आपके लिए इस दुनिया को थोड़ा सरल बना दिया होगा। अगर आप इस लेख से केवल कुछ बातें याद रखना चाहते हैं, तो वे यह हैं:
- ऑल्टकॉइन्स सिर्फ ‘सस्ते बिटकॉइन’ नहीं हैं। कई कॉइन्स अनोखी टेक्नोलॉजी पर बने हैं और असली दुनिया की समस्याओं को सुलझाने की क्षमता रखते हैं।
- भारत से निवेश करना सीधा और सरल है, लेकिन अपने मुनाफे पर लगने वाले टैक्स नियमों को हमेशा ध्यान में रखें।
- हमेशा रिसर्च करें। किसी भी कॉइन में पैसा लगाने से पहले उसके मकसद, उसकी टीम और उसकी कम्युनिटी के बारे में ज़रूर जानें।
- छोटी शुरुआत करें और विविधता लाएं। अपना सारा पैसा किसी एक कॉइन में न लगाएं और केवल उतनी ही रकम का जोखिम उठाएं जिसे खोने से आपको कोई वित्तीय परेशानी न हो।
ऑल्टकॉइन्स में आपकी यात्रा अभी शुरू हुई है। आपका अगला कदम आँख बंद करके निवेश करना नहीं, बल्कि और सीखना होना चाहिए। इस लेख में बताए गए किसी एक प्रोजेक्ट को चुनें जिसके बारे में आपको पढ़कर अच्छा लगा हो, और उसके बारे में और जानने की कोशिश करें। सीखते रहें, और समझदारी से आगे बढ़ें!
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Disclaimer : यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह नहीं माना जाना चाहिए। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश अत्यधिक जोखिम भरा है और इसमें आपका पूरा पैसा डूब सकता है। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले, कृपया अपनी खुद की रिसर्च करें और एक योग्य वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।

