सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या “FD-plus” जैसी स्थिरता के साथ इक्विटी की ग्रोथ पकड़ना संभव है, बिना रोज़ाना के वोलैटिलिटी तनाव के और बिना डिसिप्लिन तोड़े. नए Specialized Investment Funds (SIFs)—खासतौर पर Hybrid Long-Short—ठीक इसी गैप को भरने की कोशिश करते हैं, जहाँ SEBI-परिभाषित गार्डरेल्स के भीतर डेरिवेटिव्स, डेट और इक्विटी का संयोजन वोलैटिलिटी को काबू में रखते हुए परिणामों को स्मूद करने का फ्रेमवर्क देता है.
व्यवहार में कई Hybrid SIFs दैनिक सब्सक्रिप्शन के साथ इंटरवल-आधारित रिडेम्पशन (जैसे हफ्ते में दो दिन) और ₹10 लाख की न्यूनतम टिकट साइज जैसे ऑपरेशनल नियम अपनाते हैं, इसलिए इन्हें समझकर ही पोर्टफोलियो में जगह दी जानी चाहिए. कुछ मैनेजर्स 8–11% के “टार्गेट-स्टाइल” आउटकम आकांक्षाएं व्यक्त करते हैं, पर गारंटी नहीं होती—इसलिए बैक-टेस्ट और वास्तविक निष्पादन के फर्क को समझना अनिवार्य है.
इंजीनियरिंग दृष्टि से कहा जाए तो पहले कोर (SIP/डे-टू-डे लिक्विडिटी) को स्थिर करना और उसके बाद ऐसे सैटेलाइट, इंटरवल-लिक्विडिटी स्ट्रैटेजीज़ जोड़ना सिस्टम-डिज़ाइन जैसा अनुशासन बनाता है, जो लंबे क्षितिज पर व्यवहारिक गलतियों को कम करता है. यह शैक्षिक सामग्री है—न निवेश सलाह—और उद्देश्य है साफ़ नियम, डेटा-स्रोत, और प्रोसेस-फर्स्ट सोच के साथ समझ को मजबूत करना.
Hybrid SIF क्या है और कैसे काम करता है?
Hybrid SIF एक SEBI-परिभाषित रैपर है जिसमें “Hybrid Long-Short” रणनीतियाँ कम-से-कम 25% इक्विटी और 25% डेट में निवेश रखती हैं और अनहेज्ड शॉर्ट डेरिवेटिव एक्सपोज़र 25% तक सीमित होता है. इसके भीतर मैनेजर इक्विटी, डेट, आर्बिट्राज, कवरड कॉल्स, प्रोटेक्टिव पुट्स और REITs/InvITs जैसे बिल्डिंग ब्लॉक्स का उपयोग कर सकने वाली “रूल-बेस्ड फ्लेक्सिबिलिटी” पाते हैं, पर गार्डरेल्स रणनीतिक अनुशासन सुनिश्चित करते हैं. साथ ही SEBI ने “वन-स्टратегी-पर-केटेगरी” सिद्धांत अपनाया है ताकि बेवजह उत्पाद-वृद्धि की बजाय स्पष्ट, समझने योग्य विकल्प मिलें.
Hybrid SIF vs Hybrid Mutual Fund: मुख्य अंतर
SEBI के हाइब्रिड MF कैटेगरी (कंज़र्वेटिव, बैलेंस्ड/BAF, एग्रेसिव, इक्विटी सेविंग्स, मल्टी-एसेट, आर्बिट्राज) में रणनीति-लचीलापन MF नियमों तक सीमित है, जबकि Hybrid SIF में परिभाषित सीमा के भीतर लॉन्ग-शॉर्ट और डेरिवेटिव-चालित टैक्टिकल मूव्स की गुंजाइश अधिक होती है. MF स्कीमें सामान्यतः दैनिक सब्सक्रिप्शन/रिडेम्पशन देती हैं, पर कई Hybrid SIFs इंटरवल रिडेम्पशन अपनाते हैं—जैसे हफ्ते में तय दिनों पर—ताकि निष्पादन-जोखिम और कैश-मैनेजमेंट बेहतर हो सके. नतीजतन, SIFs को “म्यूचुअल फंड और PMS के बीच” का सेतु समझना व्यावहारिक है—ज़्यादा रणनीतिक आज़ादी, पर साथ में बड़े टिकट और ऑपरेशनल अनुशासन भी.
| पैरामीटर | हाइब्रिड SIF (Specialized Investment Fund) | हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) |
| नियामक संस्था | SEBI – वैकल्पिक निवेश फंड (AIF) श्रेणी II/III | SEBI – म्यूचुअल फंड नियमावली |
| रणनीति में लचीलापन | अधिक – लॉन्ग-शॉर्ट, डेरिवेटिव्स और टैक्टिकल मूव्स की अनुमति | सीमित – केवल MF नियमों के भीतर ही निवेश संभव |
| इक्विटी निवेश सीमा | न्यूनतम 25% इक्विटी अनिवार्य, नेट/ग्रॉस पोज़िशनिंग में लचीलापन | परिभाषित श्रेणी अनुसार सीमा तय |
| डेट (Debt) निवेश सीमा | न्यूनतम 25% डेट अनिवार्य | स्कीम प्रकार के अनुसार सीमा तय |
| डेरिवेटिव्स का उपयोग | उन्नत – कवर्ड कॉल, प्रोटेक्टिव पुट, पेयर ट्रेड जैसी रणनीतियाँ | केवल हेजिंग (सुरक्षा) के लिए सीमित |
| लिक्विडिटी (Liquidity) | इंटरवल-आधारित रिडेम्पशन, जैसे सप्ताह में 2 दिन | दैनिक सब्सक्रिप्शन और रिडेम्पशन उपलब्ध |
| न्यूनतम निवेश राशि | ₹10,00,000 (10 लाख) – PAN स्तर पर | ₹500 से ₹5,000 तक (स्कीम पर निर्भर) |
| कराधान (Taxation) | म्यूचुअल फंड जैसा ही – LTCG/STCG नियम लागू | सामान्य म्यूचुअल फंड टैक्स नियम |
| उपयुक्त निवेशक वर्ग | HNI और मास-अफ्लुएंट जो FD-plus और लो-वोलैटिलिटी रिटर्न चाहते हैं | रिटेल निवेशक, शुरुआती और सामान्य निवेशक |
| ऑपरेशनल नियम | रिडेम्पशन नोटिस पीरियड, यूनिट्स की लिस्टिंग अनिवार्य, सख्त नियम | सरल – दैनिक खरीद/बिक्री |
| जटिलता स्तर | अधिक जटिल – डेरिवेटिव्स और रणनीतियों की गहरी समझ जरूरी | कम जटिल – सामान्य निवेशकों के लिए आसान |
Minimum Investment और Liquidity नियम

अधिकांश SIFs ₹10 लाख न्यूनतम निवेश सीमा लागू करते हैं (PAN-लेवल पर), और कई हाइब्रिड लॉन्ग-शॉर्ट इंटरवल-फंड की तरह दैनिक सब्सक्रिप्शन के साथ हफ्ते में दो दिन रिडेम्पशन की सुविधा देते हैं. विभिन्न AMC मॉडल में सप्ताह के तय दिन जैसे मंगलवार-बुधवार या सोमवार-गुरुवार पर निकास की अनुमति दिखी है, इसलिए कैलेंडर पढ़ना और कैश-फ्लो प्लानिंग पहले से करना आवश्यक है. SEBI ढांचा 15 कार्य-दिवस तक की रिडेम्पशन नोटिस-पीरियड की अनुमति भी देता है, और इंटरवल स्ट्रैटेजीज़ की यूनिट्स लिस्टिंग अनिवार्य है ताकि निकास चैनल मौजूद रहे.
SEBI Guardrails और Risk Control Explained
डिज़ाइन-कंस्ट्रेंट्स जैसे “इक्विटी ≥25% + डेट ≥25% + अनहेज्ड शॉर्ट ≤25%” मैनेजर को अधिक-लचीलापन देते हुए भी जोखिम-बजट में बंधे रहने का संरचनात्मक दबाव बनाते हैं—ठीक वैसे ही जैसे किसी सिस्टम में सेफ़्टी-फ्यूज़ व परफॉर्मेंस-सीलिंग साथ-साथ डिज़ाइन किए जाते हैं. सेक्टर और इश्यूअर लिमिट्स (जैसे AAA में 20%, AA में 16%, A और नीचे में 12% तथा क्षेत्र-स्तर पर 25% कैप) कन्सन्ट्रेशन-रिस्क को सीमित रखते हैं, ताकि “स्थिर आउटपुट” का लक्ष्य सिर्फ ऑप्शन-प्रेमिया पर नहीं बल्कि विविधीकरण-अनुशासन पर भी टिके. इस संरचना के कारण Hybrid SIFs का सही उपयोग “सैटेलाइट स्लिव” की तरह होता है—जहाँ कोर-लिक्विड एसेट्स के ऊपर नियंत्रित-जोखिम, इंटरवल-लिक्विडिटी और प्रोसेस-ड्रिवन रिटर्न स्मूदिंग जोड़ी जाती है.
Read : What is a Specialised Investment Fund (SIF)?
Hybrid SIF में शामिल Investment Strategies

हाइब्रिड SIFs का टूलकिट फिक्स्ड इनकम बेस, इक्विटी आर्बिट्राज, और डेरिवेटिव-आधारित रणनीतियों (कवर्ड कॉल, प्रोटेक्टिव पुट, कॉलर, पेयर ट्रेड) को मिलाकर वोलैटिलिटी को दबाने और कैश-फ्लो को स्मूद करने की कोशिश करता है। भारत में लॉन्च हो रहे हाइब्रिड लॉन्ग-शॉर्ट SIFs का डिजाइन “एब्सोल्यूट/लो-वोल” परिणामों की ओर उन्मुख बताया जा रहा है, जहाँ डेट+आर्बिट्राज आधार पर चयनित डेरिवेटिव/स्पेशल-सिचुएशंस से अतिरिक्त अल्फा का प्रयास किया जाता है।
- फिक्स्ड इनकम और मनी-मार्केट: 25–35% जैसे सीमाओं के भीतर उच्च-गुणवत्ता वाले इंस्ट्रूमेंट्स से स्थिर एक्रुअल और ड्रॉडाउन बफर का लक्ष्य रखा जाता है।
- इक्विटी लॉन्ग (ग्रॉस) और आर्बिट्राज: 65–75% तक ग्रॉस इक्विटी के साथ व्यापक हेजिंग और आर्बिट्राज से नेट-एक्सपोज़र कम रखा जा सकता है।
- डेरिवेटिव रणनीतियाँ: कवर्ड कॉल, प्रोटेक्टिव पुट, कॉलर, इंडेक्स/स्टॉक फ्यूचर्स और ऑप्शन प्रीमियम हार्वेस्टिंग के संयोजन से स्विंग्स सीमित करने का प्रयास किया जाता है।
- स्पेशल सिचुएशंस: IPOs, बायबैक, ओपन ऑफर, डीलिस्टिंग, इंडेक्स-रीबैलेंस जैसे ईवेंट-ड्रिवेन अवसरों का टैक्टिकल उपयोग कुछ मैनेजर्स द्वारा प्रॉस्पेक्टस/पीआर में रेखांकित है।
ग्रॉस बनाम नेट इक्विटी की प्रैक्टिस में, उदाहरणतः 65–75% ग्रॉस इक्विटी को फ्यूचर्स/ऑप्शंस से हेज करके नेट को 0–10% के दायरे में रखा जा सकता है, जिससे इक्विटी-लिंक्ड अपसाइड का कुछ हिस्सा बचाते हुए डाउनस्विंग पर नियंत्रण रहे। कई SIFs 0–25% तक “अनहेज्ड शॉर्ट डेरिवेटिव” की सीमा बताते हैं, जिससे शॉर्ट-एक्सपोज़र पर स्पष्ट गार्डरेल्स स्थापित होते हैं।
बैक-टेस्ट बनाम वास्तविकता को लेकर, कुछ संचार 8–11% के “टार्गेट-स्टाइल” आउटकम की आकांक्षा का संकेत देते हैं, पर AMCs स्वयं इसे गारंटी नहीं मानते और लाइव एक्सीक्यूशन, स्लिपेज, और मार्केट-रीजीम बदलावों के कारण प्रदर्शन में विचलन संभव मानते हैं। इसी संदर्भ में मनीकंट्रोल की शुरुआती विश्लेषणात्मक सामग्री “FD-plus/लो-वोल” थीम पर जोर देती है, लेकिन ड्रॉडाउन/डिस्पर्शन बैंड और स्ट्रेस-सीनारियो समझना निवेशक प्रत्याशा-निर्धारण के लिए जरूरी है।
Portfolio Allocation: Hybrid SIF कहाँ फिट होता है
कौन विचार करे: इंटरवल-लिक्विडिटी और ₹10 लाख न्यूनतम टिकट के कारण हाइब्रिड SIFs अधिकतर मास-अफ्लुएंट/एचएनआई प्रोफाइल के लिए व्यावहारिक बनते हैं, खासकर उनके लिए जो लो-वोलैटिलिटी, प्रोसेस-ड्रिवन “FD-plus” परिणामों की चाह रखते हैं। पहली बार इक्विटी में उतरने वालों के लिए जटिलता और डेरिवेटिव-जोखिम की समझ महत्वपूर्ण है, इसलिए बेसिक कोर-एलोकेशन मजबूत होने के बाद सीमित सैटेलाइट-स्लिव के रूप में इनका उपयोग अधिक सार्थक दिखता है।
एलोकेशन एंकर: सार्वजनिक चर्चाओं में 5–15% सैटेलाइट एलोकेशन एवं ~24–36 महीनों का निवेश क्षितिज एक व्यावहारिक बेंचमार्क की तरह उद्धृत हुआ है, ताकि प्रोसेस-ड्रिवन रणनीति को पर्याप्त समय और ऑपरेशनल-रिद्म मिल सके। इस दायरे में भी टिकट-साइज़, नकदी-आवश्यकताएँ, और मौजूदा कोर-होल्डिंग्स के अनुरूप कैलिब्रेशन करना उपयुक्त रहता है।
हाइब्रिड/BAF के साथ पोजिशनिंग: हाइब्रिड SIFs को कुछ निवेशक आर्बिट्राज/शॉर्ट-ड्यूरेशन-डेट हिस्से के आंशिक विकल्प/पूरक के रूप में देखते हैं, जहाँ डेरिवेटिव-आय और हेजिंग से “स्मूद” प्रोफाइल बनता है, जबकि कोर-होल्डिंग्स MF में बनी रहती हैं। यह ब्रिज-रोल इसलिए भी दिखता है क्योंकि MF हाइब्रिड कैटेगरीज़ के नियम अलग हैं और SIFs को सीमित-शॉर्ट/लॉन्ग-शॉर्ट लचीलापन मिलता है, जिससे दोनों के मिश्रण से समग्र जोखिम-प्रोफाइल ट्यून किया जा सकता है।

लिक्विडिटी, ऑपरेशंस और Exit Planning
सब्सक्रिप्शन बनाम रिडेम्पशन: कई हाइब्रिड SIFs में डेली सब्सक्रिप्शन संभव है, पर रिडेम्पशन आमतौर पर सप्ताह में दो तय दिनों पर होता है—जैसे सोमवार/गुरुवार या सोमवार/बुधवार—जिससे कैश-मैनेजमेंट और निष्पादन-रिस्क का बेहतर नियंत्रण रखा जा सके। SBI Magnum Hybrid Long Short और Edelweiss Altiva Hybrid Long Short दोनों के सार्वजनिक दस्तावेज़/घोषणाएँ इसी इंटरवल-रिडेम्पशन मॉडल की पुष्टि करती हैं और ₹10 लाख न्यूनतम आवेदन का उल्लेख करती हैं।
कैश-फ्लो प्लानिंग: इंटरवल-लिक्विडिटी के कारण इमरजेंसी नकदी के लिए ओपन-एंडेड MFs (दैनिक रिडेम्पशन) के साथ “लिक्विडिटी लैडर” बनाना प्रैक्टिकल है—अर्थात् दैनिक-तरल कोर, और SIFs को सैटेलाइट/नॉन-इमरजेंसी लक्ष्यों के लिए। कुछ SIF यूनिट्स के एक्सचेंज-लिस्टिंग प्रावधान भी उल्लिखित हुए हैं, पर ऑपरेशनल रूप से प्राथमिक निकास चैनल इंटरवल-रिडेम्पशन कैलेंडर ही रहता है—इसलिए कैलेंडर-डिसिप्लिन और लक्ष्य-मैपिंग अनिवार्य है।
ड्यू प्रोसेस और चेकलिस्ट: KIM/ऑफर-डॉक्युमेंट में पोर्टफोलियो लिमिट्स, रिडेम्पशन-कैलेंडर, खर्च संरचना, और डेरिवेटिव-यूज़ की सीमा स्पष्ट पढ़ना चाहिए, ताकि एक्सपेक्टेशन और वास्तविक ऑपरेशंस में गैप न रहे। AMC संचार में बताए गए बेंचमार्क, हेजिंग-सीमाएँ, और स्पेशल-सिचुएशंस की परिभाषा को तथ्य-पत्र/कैलेंडर के साथ क्रॉस-चेक करके ही एलोकेशन लॉक करना विवेकपूर्ण है।
Hybrid SIF Taxation: LTCG और STCG नियम
यूनियन बजट 2025 के बाद, हाइब्रिड SIFs के लिए कराधान नियमों में कुछ बदलाव आए हैं, जो निवेशकों को निवेश निर्णय लेते समय ध्यान में रखने चाहिए। दीर्घकालिक पूंजी-लाभ (LTCG) पर अब एक समान 12.5% टैक्स लागू है, जिसमें होल्डिंग पीरियड 12 महीने (इक्विटी-उन्मुख SIFs के लिए) और 24 महीने (अन्य परिसंपत्तियों के लिए) है। इंडेक्सेशन लाभ को पूरी तरह हटा दिया गया है, जिससे ग्रॉस रिटर्न के बजाय नेट रिटर्न पर ध्यान देना अनिवार्य हो गया है। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) के लिए, लिस्टेड इक्विटी-उन्मुख SIFs पर 20% टैक्स लागू है, जो पहले 15% था। ये दरें यूनियन बजट 2024 से शुरू हुईं और 2025 में पुष्टि हुईं, हालांकि कुछ अन्य सिक्योरिटीज के लिए LTCG को 10% से 12.5% करने का प्रस्ताव अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा।
कर ढांचा: SIF का टैक्स म्यूचुअल फंड जैसा है—रिडेम्पशन के समय निवेशक-स्तर पर टैक्स लगता है। इक्विटी-उन्मुख SIFs के लिए LTCG पर वार्षिक ₹1.25 लाख तक की छूट लागू है, उसके बाद 12.5% टैक्स (सेस/सरचार्ज को छोड़कर)। STCG पर 20% टैक्स लागू है।
नेट रिटर्न गणना: उदाहरण के तौर पर, यदि किसी SIF का संभावित ग्रॉस रिटर्न 10% है और LTCG 12.5% लागू होता है, तो नेट रिटर्न अनुमानित रूप से 10% × (1−0.125) = 8.75% हो सकता है। वास्तविक नेट रिटर्न छूट, सेस/सरचार्ज, और रिडेम्पशन टाइमिंग के आधार पर भिन्न हो सकता है।
निवेशक सलाह: टैक्स प्रभाव को ध्यान में रखते हुए होल्डिंग पीरियड और बाय-सेल टाइमिंग की प्लानिंग जरूरी है। SEBI-पंजीकृत सलाहकार से परामर्श करें, क्योंकि अप्रैल 2026 से कुछ सिक्योरिटीज पर LTCG दरों में बदलाव संभावित हैं।
रिस्क-मैनेजमेंट और Investor ड्यू-डिलिजेंस

हाइब्रिड लॉन्ग-शॉर्ट SIFs का वादा “लो-वोल/स्मूद” परिणामों का है, पर यह वादा मैनेजर की निष्पादन-कुशलता, हेजिंग-नीति, और ऑपरेशनल कैलेंडर पर टिका होता है—इसलिए बैक-टेस्ट बनाम लाइव-परफॉर्मेंस का फासला समझना और प्रक्रिया-जांच करना ज़रूरी है। SEBI ढांचा और KIM जैसी दस्तावेज़ी गार्डरेल्स—जैसे स्ट्रेटेजी-सीमाएँ, शॉर्ट-एक्सपोज़र नियम, रिडेम्पशन-कैडेंस—निष्पादन-जोखिम को परिभाषित करते हैं; इन्हें लाइन-बाय-लाइन पढ़ना निवेश-पूर्व शर्त होनी चाहिए।
- मैनेजर-स्किल और टूलकिट: कवर्ड-कॉल/पुट/कॉलर और आर्बिट्राज से वोलैटिलिटी दबाने का प्रयास तभी कारगर है जब पोज़िशन-साइज़िंग और एंट्री-एग्ज़िट अनुशासित हों।
- ढांचा-गार्डरेल्स: SIF सर्कुलर रणनीति-सीमाएँ और ऑपरेशनल नियम परिभाषित करता है, जिन्हें KIM/ऑफ़र डॉक्युमेंट में ऑपरेशनलाइज़ किया जाता है—यहीं से असली रिस्क-बजट और संभावित ड्रा-डाउन संकेत मिलते हैं।
- ऑपरेशंस-रीऐलिटी: कई हाइब्रिड SIFs में दैनिक सब्सक्रिप्शन पर इंटरवल रिडेम्पशन (सप्ताह में दो दिन) लागू है, इसलिए नकदी-जरूरतों के लिए MF-कोर के साथ “लिक्विडिटी लैडर” बनाना विवेकपूर्ण है।
- ड्यू-डिलिजेंस चेकलिस्ट: रिडेम्पशन कैलेंडर, न्यूनतम निवेश, खर्च-नीति, डेरिवेटिव-सीमाएँ, और “लाइव बनाम बैक-टेस्ट” डिस्पर्शन की तुलना बिना एलोकेशन लॉक न करें।
निष्कर्ष: Hybrid SIF में निवेश से पहले ध्यान दें
हाइब्रिड SIFs “MF और PMS के बीच” का एक संरचित पुल हैं—अधिक रणनीतिक लचीलापन, इंटरवल-लिक्विडिटी अनुशासन, और MF-जैसी टैक्स-फील के साथ “FD-plus/लो-वोल” प्रोफ़ाइल गढ़ने का प्रयास करते हैं, पर इनका सही उपयोग तभी है जब कोर-लिक्विड पोर्टफोलियो पहले से स्थिर हो। व्यवहारिक अगला कदम है—लिखित प्रक्रिया बनाना: लक्ष्य-होराइजन, संभावित 5–15% सैटेलाइट-स्लिव का दायरा, रिडेम्पशन-कैलेंडर के अनुरूप लिक्विडिटी लैडर, और तिमाही रिव्यू-चेकलिस्ट—ताकि प्रोडक्ट से पहले प्रोसेस आगे चले।
Read : Step-up SIP: म्यूचुअल फंड निवेश का गेम चेंजर तरीका
Disclaimer: यह लेख केवल शैक्षिक और सूचना के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी निवेश सलाह नहीं है। किसी भी वित्तीय निर्णय या निवेश से पहले, कृपया SEBI-रजिस्टर्ड वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें। बाजार में उतार-चढ़ाव और कर नियमों में बदलाव के कारण परिणाम अलग हो सकते हैं।

