यह गाइड खासकर उन शुरुआती निवेशकों के लिए है जो भारत से US स्टॉक निवेश में अपने पहले कदम रखना चाहते हैं। हम आपको बताएंगे कि कैसे INDmoney फ्रैक्शनल शेयर्स के जरिए आप दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों के मालिक बन सकते हैं।
इस गाइड में आप सीखेंगे कि फ्रैक्शनल इनवेस्टिंग गाइड कैसे काम करती है और US स्टॉक्स में ₹100 निवेश से कैसे शुरुआत करें। हम US स्टॉक्स टैक्स इम्प्लीकेशन और विदेशी निवेश नियम भारत के बारे में भी विस्तार से बात करेंगे ताकि आपको अपने निवेश की पूरी जानकारी मिल सके।
फ्रैक्शनल इनवेस्टिंग क्या हैं और ये कैसे काम करते हैं

फ्रैक्शनल शेयर्स की परिभाषा और मूल सिद्धांत
फ्रैक्शनल शेयर्स आपको किसी कंपनी के पूरे शेयर का एक हिस्सा खरीदने की सुविधा देते हैं। जब आपके पास महंगे शेयर खरीदने के लिए पूरी राशि नहीं है, तो आप केवल ₹100 से शुरुआत करके Tesla या Amazon जैसी कंपनियों में निवेश कर सकते हैं। यह प्रक्रिया बिल्कुल वैसी है जैसे आप एक पिज़्ज़ा का टुकड़ा खरीदते हैं, पूरा पिज़्ज़ा नहीं।
पूरे शेयर बनाम फ्रैक्शनल शेयर्स का तुलनात्मक विश्लेषण
| विशेषता | पूरे शेयर्स | फ्रैक्शनल शेयर्स |
|---|---|---|
| न्यूनतम निवेश | पूरे शेयर की कीमत | ₹100 से शुरुआत |
| वोटिंग अधिकार | हां | सीमित/नहीं |
| डिविडेंड | पूरा मिलता है | अनुपात के अनुसार |
ब्रोकर्स द्वारा फ्रैक्शनल शेयर्स को कैसे manage किया जाता है
फ्रैक्शनल शेयर्स को मैनेज करने के लिए ब्रोकर्स एक विशेष प्रणाली का उपयोग करते हैं। जब आप ₹100 जैसे छोटे निवेश से शेयर खरीदते हैं, ब्रोकर आपके निवेश को पूल में मिलाता है और इसे बड़े ऑर्डर में बदलकर US मार्केट में ट्रेड करता है। उदाहरण के लिए, यदि कई निवेशक Tesla के फ्रैक्शनल शेयर खरीदते हैं, ब्रोकर इन छोटे हिस्सों को मिलाकर एक पूरा शेयर खरीदता है और फिर डिजिटल रूप से आपके खाते में आपका हिस्सा दर्ज करता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑटोमेटेड होती है और रियल-टाइम में आपके पोर्टफोलियो को अपडेट रखती है।
ब्रोकर डिविडेंड्स और कैपिटल गेन्स को भी आपके हिस्से के आधार पर वितरित करते हैं, जिससे आपको हर ट्रांजेक्शन का पूरा नियंत्रण मिलता है।
फ्रैक्शनल शेयर्स और ETFs के बीच अंतर
फ्रैक्शनल शेयर्स और ETFs (Exchange-Traded Funds) दोनों ही निवेश के लोकप्रिय तरीके हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। फ्रैक्शनल शेयर्स आपको किसी एक कंपनी (जैसे Apple या Tesla) के शेयर का छोटा हिस्सा खरीदने की सुविधा देते हैं, जबकि ETFs कई कंपनियों के शेयरों का एक बास्केट होता है जो एक इंडेक्स (जैसे S&P 500) को ट्रैक करता है। फ्रैक्शनल शेयर्स के साथ आप किसी खास कंपनी पर फोकस कर सकते हैं, जबकि ETF विविधता प्रदान करता है। इसके अलावा, फ्रैक्शनल शेयर्स का मूल्य उस कंपनी के शेयर मूल्य पर निर्भर करता है, वहीं ETF का मूल्य इसमें शामिल सभी शेयरों के प्रदर्शन पर आधारित होता है।
निवेश की राशि ₹100 से शुरू हो सकती है दोनों में, लेकिन ETFs में प्रबंधन शुल्क (expense ratio) लागू हो सकता है, जो फ्रैक्शनल शेयर्स में आम तौर पर नहीं होता।
भारत से US स्टॉक्स में निवेश करने के तरीके

डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट – इंडियन ब्रोकर्स के माध्यम से
आप भारतीय ब्रोकर्स जैसे कि Zerodha Kite, HDFC Securities, और ICICI Direct के जरिए सीधे US स्टॉक निवेश भारत से कर सकते हैं। ये प्लेटफॉर्म आपको अमेरिकी एक्सचेंजों तक पहुंच प्रदान करते हैं और अमेरिकी स्टॉक्स भारत से खरीदने की सुविधा देते हैं।
डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट – इंटरनेशनल ब्रोकर्स के माध्यम से
अंतरराष्ट्रीय ब्रोकर्स के साथ आपको बेहतर रेट और सीधी पहुंच मिलती है। हालांकि, आपको विदेशी निवेश नियम भारत के तहत RBI की अनुमति और डॉक्यूमेंटेशन की आवश्यकता होती है।
इनडायरेक्ट इन्वेस्टमेंट – म्यूचुअल फंड्स और ETFs के जरिए
यदि आप direct investment से बचना चाहते हैं, तो आप domestic mutual funds या ETFs चुन सकते हैं जो US markets में invest करते हैं।
इन्वेस्टमेंट ऐप्स का उपयोग करना
आधुनिक investment apps आपको simplified interface प्रदान करती हैं जहां आप minimum amount से शुरुआत कर सकते हैं।
INDmoney के साथ फ्रैक्शनल शेयर्स खरीदने की step-by-step प्रक्रिया

अकाउंट सेटअप और activation
आपको INDmoney के साथ फ्रैक्शनल शेयर्स में निवेश शुरू करने के लिए सबसे पहले अकाउंट बनाना होगा। अपना mobile number और email ID provide करके basic registration complete करें। KYC verification के लिए आपको PAN card, Aadhaar card, और bank account details submit करने होंगे। इसके साथ ही foreign investment के लिए LRS (Liberalized Remittance Scheme) के under declaration भी देना होगा।
फंडिंग और money transfer
अकाउंट activation के बाद, आप INDmoney app के through अपने Indian bank account से direct fund transfer कर सकते हैं। Minimum ₹100 से investment start कर सकते हैं। Currency conversion automatic होगी current exchange rates के अनुसार। Fund settlement में typically 2-3 business days लग सकते हैं।
स्टॉक सिलेक्शन और purchase methods
फ्रैक्शनल शेयर्स में निवेश शुरू करने के लिए सही स्टॉक चुनना और खरीदने की प्रक्रिया समझना जरूरी है। INDmoney जैसे प्लेटफॉर्म पर आप अपनी रुचि (जैसे टेक, हेल्थकेयर) या ग्रोथ पोटेंशियल के आधार पर स्टॉक्स चुन सकते हैं, जैसे Apple, Tesla, या Amazon। स्टॉक सिलेक्शन के लिए कंपनी के पिछले प्रदर्शन, मार्केट ट्रेंड्स, और आपके निवेश लक्ष्य को ध्यान में रखें। खरीदने की प्रक्रिया में, आप ऐप पर स्टॉक सर्च करें, अपनी निवेश राशि (₹100 से शुरू) डालें, और “बाय” बटन पर क्लिक करें। ऑर्डर तुरंत US मार्केट में एग्जीक्यूट होता है और आपका हिस्सा आपके डैशबोर्ड पर दिखाई देता है। आप रेगुलर इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) भी सेट कर सकते हैं, जो हर महीने निश्चित राशि निवेश करता है।
फ्रैक्शनल शेयर्स का execution और management
फ्रैक्शनल शेयर्स का एग्जीक्यूशन तेज और कुशल होता है। जब आप ऑर्डर देते हैं, ब्रोकर इसे US स्टॉक एक्सचेंज (जैसे NYSE या NASDAQ) पर रियल-टाइम में पूरा करता है। आपकी खरीद का मूल्य उस दिन की मार्केट प्राइस पर आधारित होता है, और फ्रैक्शनल हिस्सा आपके खाते में तुरंत क्रेडिट हो जाता है।
मैनेजमेंट के लिए, INDmoney ऐप आपको अपने पोर्टफोलियो को ट्रैक करने, लाभ-हानि देखने, और स्टॉक को बेचने की सुविधा देता है। आप अपने निवेश को कभी भी एडजस्ट कर सकते हैं, और डिविडेंड्स या कैपिटल गेन्स स्वचालित रूप से आपके खाते में जमा हो जाते हैं। नियमित अपडेट्स और अलर्ट्स आपको मार्केट में बदलाव से अवगत रखते हैं।
फ्रैक्शनल शेयर्स के फायदे

कम entry cost और affordable investing
फ्रैक्शनल शेयर्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप केवल ₹100 से US स्टॉक्स में निवेश शुरू कर सकते हैं। महंगे शेयर्स जैसे कि Apple या Tesla में भी छोटी राशि से निवेश संभव हो जाता है।
पोर्टफोलियो diversification की सुविधा
आप अपने सीमित बजट में भी कई अलग-अलग कंपनियों के शेयर्स खरीदकर अपने पोर्टफोलियो को diversify कर सकते हैं। यह risk management में बेहद मददगार साबित होता है और long-term wealth creation के लिए आवश्यक है।
फ्रैक्शनल शेयर्स की सीमाएं और नुकसान

Limited availability और platform restrictions
फ्रैक्शनल शेयर्स की उपलब्धता अभी भी सीमित है और सभी प्लेटफॉर्म पर हर स्टॉक के लिए यह सुविधा नहीं मिलती। आपको केवल चुनिंदा कंपनियों के शेयर्स में ही फ्रैक्शनल निवेश का विकल्प मिलता है।
Voting rights का अभाव
जब आप फ्रैक्शनल शेयर्स खरीदते हैं, तो आपको कंपनी की बोर्ड मीटिंग्स में वोटिंग का अधिकार नहीं मिलता। यह अधिकार केवल पूरे शेयर्स के मालिकों को प्राप्त होता है, जो आपकी निवेश संबंधी निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
निवेश की सीमाएं और नियम

RBI का Liberalised Remittance Scheme (LRS)
भारत से विदेशी निवेश नियम भारत के तहत आपको RBI के Liberalised Remittance Scheme का पालन करना होता है। यह स्कीम आपको बिना किसी विशेष अनुमति के विदेशी निवेश करने की अनुमति देती है।
वार्षिक $250,000 की निवेश सीमा
US स्टॉक निवेश भारत से करते समय आपकी वार्षिक निवेश सीमा $250,000 है। यह सीमा सभी विदेशी निवेशों को मिलाकर है, जिसमें अमेरिकी स्टॉक्स भारत से खरीदना भी शामिल है। इस सीमा के भीतर आप फ्रैक्शनल शेयर्स में भी निवेश कर सकते हैं।
FEMA Regulations और Compliance
Foreign Exchange Management Act (FEMA) के तहत आपको सभी निवेश transactions की proper reporting करनी होती है। विदेशी निवेश नियम भारत के अनुसार, आपके broker को आपकी तरफ से यह compliance ensure करना होता है।
For more info on LRS visit RBI FAQs
Tax implications और कर संबंधी जानकारी

Capital gains tax – short-term और long-term
जब आप US स्टॉक्स में निवेश करते हैं और बाद में उन्हें बेचते हैं, तो आपको capital gains tax का भुगतान करना होता है। भारत में, 24 महीने से कम समय के लिए रखे गए US स्टॉक्स को short-term capital gains माना जाता है, जिस पर आपकी आयकर स्लैब rate के अनुसार tax लगता है। यदि आप शेयर्स को 24 महीने या उससे अधिक समय तक रखते हैं, तो यह long-term capital gains होता है।
फ्रैक्शनल शेयर्स के मामले में भी यही नियम लागू होता है – आप चाहे पूरा शेयर खरीदें या fractional हिस्सा, taxation के नियम समान रहते हैं। Long-term capital gains पर 20% tax (indexation benefit के साथ) या बिना indexation के 12.5% tax लगता है, जैसा कि 2024 के बजट में संशोधित किया गया है।
Dividend taxation और withholding tax
US कंपनियों से मिलने वाले dividends पर पहले US में withholding tax काटा जाता है, जो आमतौर पर 30% होता है। हालांकि, India-US DTAA के तहत यह rate घटकर 25% हो जाता है। इसके बाद, आपको भारत में भी इन dividends पर अपनी आयकर स्लैब rate के अनुसार tax देना होता है।
आपको US में काटे गए withholding tax का credit भारत में मिलता है, जिससे double taxation से बचा जा सकता है। विदेशी निवेश के मामले में यह एक महत्वपूर्ण benefit है जो आपकी overall tax liability को कम करता है।
India-US DTAA के फायदे
India-US Double Taxation Avoidance Agreement (DTAA) के तहत आपको कई फायदे मिलते हैं। यह treaty ensure करती है कि आप same income पर दोनों देशों में tax न भरें। US में काटे गए withholding tax को आप भारत में foreign tax credit के रूप में claim कर सकते हैं।
DTAA के कारण dividends पर withholding tax rate 30% से घटकर 25% हो जाता है, जो आपकी US स्टॉक्स टैक्स इम्प्लीकेशन को काफी कम कर देता है। यह particularly फायदेमंद है जब आप dividend-paying stocks में invest करते हैं।
ITR filing में reporting requirements
विदेशी निवेश नियम भारत के अनुसार, आपको अपने US stock investments को ITR में properly report करना होता है। Schedule FA (Foreign Assets) में आपको अपनी सभी विदेशी holdings का विवरण देना आवश्यक है। इसमें शेयर्स की value, dividend income, और capital gains सभी की जानकारी शामिल करनी होती है।
आपको अपने फ्रैक्शनल शेयर्स की भी reporting करनी होगी, भले ही वे छोटी amount के हों। साथ ही, bank statements और brokerage statements को भी maintain करना जरूरी है ताकि सभी transactions का proper documentation हो।
फीस और charges की detailed breakdown

TCS (Tax Collected at Source) – 20% on amounts above ₹7 lakh
जब आप भारत से US स्टॉक्स में निवेश करते हैं, तो TCS का ध्यान रखना जरूरी है। ₹7 लाख से अधिक के विदेशी निवेश पर 20% TCS लागू होता है। यह amount आपके annual remittance limit में count होती है। ध्यान दें कि 2023 के बदलावों के अनुसार, शिक्षा या चिकित्सा से संबंधित रेमिटेंस पर ₹7 लाख तक 5% TCS लागू हो सकता है, लेकिन यह फ्रैक्शनल शेयर निवेश पर लागू नहीं होता।
Brokerage fees – Indian vs International brokers
भारतीय ब्रोकर्स आमतौर पर कम brokerage fees चार्ज करते हैं, जबकि international brokers की fees अधिक हो सकती हैं। फ्रैक्शनल शेयर्स के लिए विशेष charges भी apply हो सकते हैं।
Dividend payments और उनका taxation

Proportional dividend distribution
जब आप फ्रैक्शनल शेयर्स के मालिक होते हैं, तो आपको dividend payments उसी अनुपात में मिलती हैं जितना आपका ownership stake है। उदाहरण के लिए, यदि आप Apple के 0.5 shares के मालिक हैं और कंपनी $2 per share का dividend देती है, तो आपको $1 का dividend मिलेगा।
US में 25% withholding tax
US stocks से मिलने वाले dividends पर अमेरिकी सरकार automatic 25% withholding tax काटती है। यह tax India-US tax treaty के तहत लगाया जाता है और यह source पर ही deduct हो जाता है। भारतीय निवेशकों के लिए यह standard rate है जो आपकी dividend income से automatically कट जाता है।
India में tax offset के benefits
भारत में अपने US स्टॉक्स से मिलने वाले लाभांश (dividends) पर कर (tax) का भुगतान करते समय, आपको डबल टैक्सेशन से बचने के लिए विदेशी कर क्रेडिट (foreign tax credit) का लाभ मिलता है। जब US में 25% withholding tax काटा जाता है, तो आप इसे अपने भारत में देय कर से घटा सकते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि आपका लाभांश $100 है और US में $25 काटा गया, तो भारत में आपकी आयकर स्लैब के अनुसार बाकी $75 पर कर लगेगा, लेकिन $25 का क्रेडिट आपके कुल कर दायित्व को कम कर देगा। यह सुनिश्चित करता है कि आपकी समग्र कर देनदारी (overall tax liability) कम हो और निवेश अधिक लाभकारी बने।
Taxation के लिए Exchange rate की गणना
US स्टॉक्स में निवेश करते समय, कर गणना के लिए USD से INR में विनिमय दर (exchange rate) का सटीक हिसाब रखना जरूरी है। जब आप अपने लाभ (capital gains) या लाभांश (dividends) को INR में परिवर्तित करते हैं, तो उस तारीख की विनिमय दर लागू होती है जिस दिन आपने धन वापस लिया या कर के लिए घोषणा की।
उदाहरण के लिए, यदि आपने $100 का लाभ कमाया और उस समय USD-INR दर 83 थी, तो कर गणना के लिए यह ₹8,300 माना जाएगा। यदि वापसी के समय दर 85 हो जाती है, तो वास्तविक राशि ₹8,500 होगी, लेकिन कर की गणना मूल दर (83) पर आधारित होगी। यह सुनिश्चित करता है कि कर दायित्व में विनिमय दर के उतार-चढ़ाव का सही आकलन हो।
Currency exchange का impact

USD-INR fluctuations का cost पर प्रभाव
जब आप फ्रैक्शनल शेयर्स में निवेश करते हैं, तो USD-INR की exchange rate में होने वाले उतार-चढ़ाव आपकी निवेश लागत और रिटर्न को प्रभावित करते हैं। यदि रुपया कमजोर होता है, तो आपको US स्टॉक्स खरीदने के लिए अधिक रुपए देने पड़ेंगे, जबकि रुपया मजबूत होने पर आपकी खरीदारी की लागत कम हो जाएगी।
Currency fluctuations का सबसे बड़ा प्रभाव तब दिखता है जब आप अपने निवेश को बेचकर रुपए में वापस convert करते हैं। भले ही आपके US स्टॉक्स का मूल्य बढ़ा हो, लेकिन यदि उस समय रुपया मजबूत हो गया है, तो आपका actual return कम हो सकता है।

आज के डिजिटल युग में, फ्रैक्शनल शेयर्स ने भारतीय निवेशकों के लिए US स्टॉक मार्केट में निवेश को बेहद सरल बना दिया है। केवल ₹100 से शुरुआत करके आप Apple, Google, Amazon जैसी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों के मालिक बन सकते हैं। INDmoney जैसे प्लेटफॉर्म के साथ, यह प्रक्रिया न केवल आसान है बल्कि पूरी तरह से कानूनी और सुरक्षित भी है।
हालांकि फ्रैक्शनल शेयर्स के कई फायदे हैं जैसे कम entry cost, बेहतर diversification और dollar-cost averaging, आपको tax implications, currency exchange का impact और विभिन्न charges के बारे में भी जानकारी रखनी चाहिए। RBI के LRS नियमों के तहत आप सालाना $250,000 तक का निवेश कर सकते हैं। याद रखें कि dividends पर 25% withholding tax लगता है और capital gains के लिए आपको भारत में tax देना होगा। फ्रैक्शनल investing आपके लिए global diversification और long-term wealth creation का एक बेहतरीन अवसर है – बस सही जानकारी और planning के साथ शुरुआत करें।
Also read: अंतरराष्ट्रीय निवेश 2025: SIP बेहतर या डायरेक्ट स्टॉक्स?
Disclaimer: यह लेख केवल शैक्षणिक और जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी प्रकार की निवेश सलाह नहीं है। शेयर बाज़ार में निवेश जोखिम से जुड़ा होता है, इसलिए निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य करें। लेखक या प्रकाशक किसी भी वित्तीय नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं होंगे।
