आपने खबरें देखी होंगी। पिछले एक साल में वैल्यू-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स ने शानदार रिटर्न दिए हैं। हर कोई वैल्यू इन्वेस्टिंग की बात कर रहा है, और ऐसा महसूस होता है जैसे यह एक ऐसी पार्टी है जिसमें आपको बुलाया नहीं गया। लेकिन एक राज़ की बात है जो कोई नहीं बताता: इसे आज़माने वाले ज़्यादातर लोग हार मान लेते हैं। क्यों? क्योंकि यह कोई रातों-रात अमीर बनने की स्कीम नहीं है। यह एक अनुशासन है।
भारतीय शेयर बाजार में मेरे 10+ साल और म्यूचुअल फंड में 14+ साल के निवेश के अनुभव में, मैंने अनगिनत निवेशकों को किसी ट्रेंड के पीछे भागते और फिर अपना नुकसान कराते देखा है। उनमें धैर्य और एक सही फ्रेमवर्क की कमी होती है। अगर आप एक नए निवेशक हैं, तो value investing पर यह गाइड आपको वही फ्रेमवर्क देने के लिए बनाई गई है।
मेरा वादा सीधा है: यह लेख आपको शेयरों की कीमतों के पीछे भागना नहीं सिखाएगा। यह आपको सिखाएगा कि एक अच्छा बिज़नेस सस्ते दाम पर कैसे खरीदा जाता है। ख़ासकर अभी, सितंबर 2025 में, जब कई मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक खतरनाक रूप से महंगे लग रहे हैं, तब किसी कंपनी की असली कीमत को समझना सिर्फ एक हुनर नहीं, बल्कि आपका सबसे बड़ा बचाव है।
Intrinsic Value बनाम Market Price: वैल्यू इन्वेस्टिंग का मूलमंत्र

“सब्ज़ी मंडी वाला लॉजिक”
एक पल के लिए शेयर बाज़ार को भूल जाइए। सोचिए आप सब्ज़ी मंडी में हैं। शाम का समय है, और एक दुकानदार बढ़िया क्वालिटी के टमाटर ₹30/किलो बेच रहा है, जबकि सुबह उनका भाव ₹60/किलो था। वह बस अपना सामान खत्म करके घर जाना चाहता है। आप जानते हैं कि टमाटरों की असली कीमत इससे ज़्यादा है, इसलिए आप उन्हें खरीद लेते हैं।
बस, यही वैल्यू इन्वेस्टिंग है।
यह किसी कंपनी की असली, अंदरूनी कीमत—उसकी Intrinsic Value (किसी कंपनी की असली कीमत)—का पता लगाने और फिर उसके शेयर को तभी खरीदने की कला है, जब उसकी Market Price (बाज़ार में चल रहा भाव) असली कीमत से काफ़ी कम हो।
इस पूरी विचारधारा की शुरुआत बेंजामिन ग्राहम ने की थी, जिन्हें “वैल्यू इन्वेस्टिंग का पितामह” कहा जाता है, और उनके सबसे प्रसिद्ध छात्र वॉरेन बफे ने इसे नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया। इसका मूल विचार यह है कि आप सिर्फ एक ऊपर-नीचे होने वाला स्टॉक सिंबल नहीं, बल्कि एक बिज़नेस खरीद रहे हैं। और आप उस बिज़नेस को उसकी असली कीमत से कम दाम पर खरीदना चाहते हैं।
FOMO और Hype से कैसे बचें? वैल्यू इन्वेस्टिंग की रक्षात्मक रणनीति

“भीड़ से अलग चलने की हिम्मत”
जब मैं यह लेख लिख रहा हूँ (सितंबर 2025), बाज़ार में एक अलग ही उत्साह है, ख़ासकर छोटे शेयरों में। निफ्टी मिडकैप 150 इंडेक्स 30 से ज़्यादा के प्राइस-टू-अर्निंग (P/E) रेशियो पर ट्रेड कर रहा है, जो ऐतिहासिक रूप से बड़े करेक्शन से पहले देखा गया है। FOMO (Fear Of Missing Out) यानी पीछे छूट जाने का डर साफ़ दिख रहा है। हर कोई मोमेंटम के पीछे भाग रहा है, शेयर सिर्फ इसलिए खरीद रहा है क्योंकि उनकी कीमत बढ़ रही है।
ICICI Prudential में काम करते हुए मैंने सीखा कि निवेश में सबसे खतरनाक वाक्य है, “इस बार सब कुछ अलग है।” ऐसे गर्म बाज़ार में वैल्यू इन्वेस्टिंग आपके लिए एक एंकर का काम करता है। यह आपको यह पूछने पर मजबूर करता है: “क्या यह बिज़नेस वाकई इतनी ज़्यादा कीमत का हक़दार है?”
यह एक रक्षात्मक रणनीति है। यह आपको बाज़ार के बुलबुले से बचने में मदद करती है और गिरावट के दौरान एक तकिये का काम करती है, क्योंकि आपने अपनी संपत्ति पहले ही छूट पर खरीदी होती है। इसका लक्ष्य बाज़ार को टाइम करना नहीं है, बल्कि बाज़ार के मूड की परवाह किए बिना, एक मज़बूत बिज़नेस को सही कीमत पर खरीदना है।
वैल्यू इन्वेस्टिंग के 3 सुनहरे नियम

सफल होने के लिए आपको जटिल गणित की ज़रूरत नहीं है। आपको बस इन तीन सदाबहार सिद्धांतों पर टिके रहना है।
नियम 1: सुरक्षा का मार्जिन (Margin of Safety)
यह वैल्यू इन्वेस्टिंग की नींव है। अगर आपका विश्लेषण कहता है कि किसी कंपनी के शेयर की असली कीमत ₹100 है, तो आप उसे ₹95 में नहीं खरीदते। आप इंतज़ार करते हैं जब तक कि आप उसे ₹60 या ₹70 में न खरीद सकें। यह ₹30-₹40 का अंतर ही आपका मार्जिन ऑफ सेफ्टी है। यह आपको गलत फैसलों, दुर्भाग्य या बिज़नेस में आने वाली अप्रत्याशित समस्याओं से बचाता है। मार्जिन ऑफ सेफ्टी जितना ज़्यादा होगा, आपका जोखिम उतना ही कम होगा।
नियम 2: अपनी समझ का दायरा (Circle of Competence)
जब मैंने अपनी निवेश यात्रा शुरू की, तो मैं एक कंप्यूटर इंजीनियर था। इसलिए, स्वाभाविक रूप से मेरा झुकाव IT शेयरों की ओर था क्योंकि मैं उनके बिज़नेस मॉडल को समझता था। बाद में फाइनेंस में MBA और काम करने के कारण मैं बैंकिंग को समझने लगा। मैं जानबूझकर फार्मा कंपनियों से दूर रहा क्योंकि मुझे उनकी दवाओं की प्रक्रिया के बारे में कुछ भी नहीं पता था।
केवल उन्हीं बिज़नेस में निवेश करें जिन्हें आप समझते हैं। अगर आप यह नहीं समझा सकते कि कोई कंपनी क्या करती है और पैसा कैसे कमाती है, तो उसमें निवेश न करें। अपनी समझ के दायरे में रहने से आप उन क्षेत्रों में बड़ी गलतियाँ करने से बच जाते हैं जिनके बारे में आपको कम जानकारी है।
नियम 3: मिस्टर मार्केट को समझें (Understand Mr. Market)
बेंजामिन ग्राहम ने शेयर बाज़ार के लिए एक शानदार कहानी बनाई: कल्पना कीजिए कि आपका एक बिज़नेस पार्टनर है जिसका नाम मिस्टर मार्केट है। वह हर दिन आपके पास आता है और आपको एक खास कीमत पर या तो अपने शेयर खरीदने या उसके शेयर बेचने की पेशकश करता है।
कुछ दिन मिस्टर मार्केट बहुत ज़्यादा खुश होता है और बहुत ऊंची कीमत बताता है। दूसरे दिनों में, वह घबराया हुआ होता है और अपने शेयर कौड़ियों के भाव बेचने को तैयार रहता है। एक वैल्यू इन्वेस्टर उसके मूड को नज़रअंदाज़ करता है। आपको उसके साथ हर दिन सौदा करने की ज़रूरत नहीं है। आप बस उसकी निराशा का फायदा उठाकर शानदार बिज़नेस सस्ते में खरीद सकते हैं और उसकी अत्यधिक ख़ुशी को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं।
भारत में Undervalued Stocks कैसे खोजें? (3-Step प्रैक्टिकल गाइड)

अब सिद्धांत को अमल में लाते हैं। तो, how to find value stocks in India? इसका जवाब एक सरल, तीन-चरणीय प्रक्रिया है।
पहला कदम: स्टॉक स्क्रीनिंग
आप 5,000+ लिस्टेड कंपनियों का विश्लेषण नहीं कर सकते। आपको उन्हें फ़िल्टर करना होगा। मैं इसके लिए Screener.in जैसे मुफ्त टूल का उपयोग करता हूँ। एक शुरुआती निवेशक के लिए कुछ सरल स्क्रीनिंग मापदंड यहाँ दिए गए हैं:
- Market Cap > ₹5,000 Crore: पहले स्थापित और स्थिर कंपनियों पर ध्यान दें।
- Price to Earning (P/E) Ratio < 15: यह जानने का एक सरल तरीका कि स्टॉक महंगा है या सस्ता।
- Price to Book (P/B) Ratio < 2: कंपनी की नेट एसेट वैल्यू की तुलना में कीमत को मापता है।
- Debt to Equity Ratio < 1: यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी पर बहुत ज़्यादा कर्ज नहीं है।
यह स्क्रीन आपको संभावित रूप से अंडरवैल्यूड कंपनियों की एक छोटी लिस्ट देगी।
दूसरा कदम: फंडामेंटल एनालिसिस
अब, अपनी लिस्ट में से कंपनियों के नंबरों की गहराई में जाएँ। तो फंडामेंटल एनालिसिस में इन रेशियो का क्या मतलब है?
- P/E Ratio: “कंपनी के मुनाफे के हर ₹1 के लिए आप कितना चुका रहे हैं।” कम P/E अक्सर यह पता लगाने का एक अच्छा शुरुआती बिंदु है कि सस्ते शेयर कैसे खरीदें।
- P/B Ratio: “कंपनी की किताबों में दर्ज असल संपत्ति की तुलना में आप कितना गुना ज़्यादा दे रहे हैं।”
- Return on Equity (ROE) > 15%: “क्या कंपनी अपने निवेशकों के पैसे से अच्छा मुनाफा कमा रही है?” एक सस्ती कंपनी जो मुनाफा नहीं कमा रही है, वह एक जाल है।
तीसरा कदम: बिज़नेस और मैनेजमेंट की क्वालिटी देखें
नंबर केवल आधी कहानी बताते हैं। अगर बिज़नेस खराब है तो एक सस्ता स्टॉक हमेशा सस्ता रह सकता है। अपने आप से पूछें:
- क्या कंपनी के पास कोई प्रतिस्पर्धी लाभ (“Moat”) है? एशियन पेंट्स या नेस्ले जैसे ब्रांडों के बारे में सोचें।
- क्या मैनेजमेंट ईमानदार और काबिल है? उनकी पिछले 2-3 साल की एनुअल रिपोर्ट पढ़ें। क्या वे अपनी गलतियाँ मानते हैं?
वैल्यू या ग्रोथ? कौन सी निवेश शैली आपके लिए बेहतर है?

“कछुए और खरगोश की दौड़”
लोग अक्सर growth vs value investing को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। इसे उस क्लासिक कहानी की तरह सोचें। ग्रोथ इन्वेस्टिंग तेज खरगोश पर दांव लगाने जैसा है—एक नई कंपनी जो बहुत तेज़ी से बढ़ सकती है। वैल्यू इन्वेस्टिंग स्थिर कछुए पर दांव लगाने जैसा है—एक मज़बूत, स्थापित कंपनी जो अस्थायी रूप से लोगों की नज़रों से दूर है लेकिन उसकी कीमत मज़बूत है।
यहाँ सबसे मुश्किल हिस्सा आता है: कछुआ धीमा है। मैंने एक बार एक वैल्यू स्टॉक रखा था जिसने लगभग दो साल तक कोई हलचल नहीं दिखाई। मेरे सभी दोस्त “ग्रोथ” स्टॉक्स में पैसा कमा रहे थे। यह निराशाजनक था। लेकिन मैंने अपना होमवर्क किया था और मुझे बिज़नेस की असली कीमत पर भरोसा था। तीसरे साल में, बाज़ार ने आखिरकार उसकी कीमत को पहचाना, और स्टॉक तीन गुना से भी ज़्यादा बढ़ गया।
यही असली परीक्षा है। वैल्यू इन्वेस्टिंग एक तरह का लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (long term investment) है। इसमें बाज़ार के आपको सही साबित करने का इंतज़ार करने के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है।
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वैल्यू इन्वेस्टिंग अवधारणा में सरल है, लेकिन अमल में मुश्किल है। यह सरल है क्योंकि इसके सिद्धांत तार्किक हैं। यह मुश्किल है क्योंकि इसके लिए आपको अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है—लालच जब दूसरे तेज़ी में हों, और डर जब दूसरे घबरा रहे हों।
हमेशा सुनहरा नियम याद रखें: आप किसी बिज़नेस का एक हिस्सा खरीद रहे हैं, न कि सिर्फ एक स्टॉक सिंबल।
आपका पहला कदम? बाज़ार को मत देखिए। एक ऐसे बिज़नेस की तलाश करें जिसे आप समझते हैं। अपनी समझ के दायरे वाली एक कंपनी चुनें और उसकी ताज़ा एनुअल रिपोर्ट पढ़कर अपनी वैल्यू इन्वेस्टिंग की यात्रा शुरू करें।
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Disclaimer: यह लेख केवल शैक्षणिक और जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी प्रकार की निवेश सलाह, वित्तीय परामर्श, या स्टॉक खरीदने-बेचने की सिफारिश नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमपूर्ण होता है, इसलिए किसी भी निवेश निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। लेखक और वेबसाइट किसी भी नुकसान या लाभ के लिए ज़िम्मेदार नहीं होंगे।

